अर्जुन और प्रिया कि कहानी 🥰🥰

 नदी के किनारे बसे छोटे से गाँव सुखपुरा में दो बचपन के दोस्तों की कहानी शुरू होती है। अर्जुन और प्रिया। उनकी दोस्ती की शुरुआत उस दिन हुई जब प्रिया गाँव में आई थी, और उनकी ज़िंदगी की धारा ही बदल गई। यह कहानी उनके बचपन की मासूमियत, किशोरावस्था के उथल-पुथल, युवावस्था के संघर्षों, और अंततः जीवन के सबक से भरे वर्तमान तक की यात्रा है। यह कहानी सिर्फ दो दोस्तों के बारे में नहीं है, बल्कि उस अटूट बंधन के बारे में है जो समय, दूरी, और परिस्थितियों से परे है।


---


### **अध्याय 1: बचपन की शुरुआत**  

सुखपुरा गाँव की गलियाँ धूप में चमकती थीं, और नदी का पानी बच्चों की हँसी की तरह बहता था। अर्जुन, जो गाँव के स्कूल के मास्टर जी का बेटा था, हमेशा किताबों और क्रिकेट में डूबा रहता। उसकी माँ नहीं थी—वह तो उसके जन्म के समय ही चल बसी थी। पिता ने ही उसे पाला था। एक दिन, गाँव के नए डॉक्टर साहब का परिवार आया। उनकी बेटी प्रिया, जो अर्जुन से एक साल छोटी थी, उसकी आँखों में शरारत और दिमाग में सवालों का झरना था।  


पहली मुलाकात बड़ी अजीब थी। प्रिया ने अर्जुन को पेड़ से आम तोड़ते देखा और चिल्लाई, "चोर! ये आम हमारे घर के पीछे के पेड़ के हैं!" अर्जुन हँसा, "ये पेड़ तो सारे गाँव का है।" प्रिया ने उसे चुनौती दी: "अगर तुम इतने बहादुर हो, तो नदी पार करके दूसरे किनारे से फूल लेकर आओ।" अर्जुन ने झट से कमीज़ उतारी और नदी में कूद गया। उस दिन दोनों ने पहली बार एक साथ गीली मिट्टी में खेलकर दोस्ती की कसम खाई।


---


### **अध्याय 2: साथ-साथ बढ़ते कदम**  

स्कूल में प्रिया हमेशा अव्वल आती, जबकि अर्जुन को गणित से चिढ़ थी। एक दिन टीचर ने अर्जुन को डांटा, "तुम्हारे पिता मास्टर हैं, और तुम फेल हो जाओगे!" प्रिया ने उसकी कॉपी पर हल्के से थपथपाया: "चिंता मत करो, मैं तुम्हें पढ़ाऊँगी।" उसने अर्जुन को रोज़ शाम पढ़ाना शुरू किया। बदले में अर्जुन उसे साइकिल चलाना सिखाता। एक बार प्रिया गिर पड़ी और घुटने में खरोंच आ गई। अर्जुन ने अपनी रुमाल से उसका खून पोंछा और बोला, "डरपोक, तुम्हें तो मेरी ज़िंदगी भर सुरक्षा चाहिए!"  


गर्मियों की छुट्टियों में दोनों जंगल में आम चुराते, नदी में मछलियाँ पकड़ते, और रात को चाँदनी में कहानियाँ सुनाते। एक बार अर्जुन बीमार पड़ गया। प्रिया ने तीन दिन तक उसके घर का काम किया और कहा, "जल्दी ठीक हो जाओ, नहीं तो मैं तुम्हारी कॉपियाँ फाड़ दूँगी!"


---


### **अध्याय 3: टूटते बादल**  

जब अर्जुन 15 का हुआ, उसके पिता की तबीयत बिगड़ी। डॉक्टर ने कहा, "दिल की बीमारी है। ज़्यादा मेहनत नहीं कर सकते।" अर्जुन ने स्कूल छोड़कर खेतों में काम करना शुरू कर दिया। प्रिया ने उससे झगड़ा किया: "तुम पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हो? मैं तुम्हारी मदद करूँगी!" लेकिन अर्जुन अड़ा रहा: "मेरे पास च्वॉइस नहीं है, प्रिया।"  


उसी साल प्रिया के पिता का ट्रांसफर शहर में हो गया। विदाई के दिन अर्जुन ने उसे एक लकड़ी की गुड़िया दी—जिसे उसने खुद बनाया था। प्रिया ने अपनी डायरी का एक पन्ना फाड़कर दिया: "इसे संभालकर रखना। जब भी मिलेंगे, मैं इसे वापस लूँगी।"  


---


### **अध्याय 4: दूरियाँ और दर्द**  

शहर में प्रिया ने मेडिकल की पढ़ाई शुरू की, जबकि अर्जुन ने छोटी सी दुकान खोल ली। वे चिट्ठियों के ज़रिए जुड़े रहे। एक चिट्ठी में प्रिया ने लिखा: *"यहाँ सब इतने स्वार्थी हैं। तुम्हारी याद आती है।"* अर्जुन ने जवाब दिया: *"तुम्हारी डायरी का पन्ना मेरे पास सुरक्षित है। लौट आओ, वरना इसे जला दूँगा!"*  


एक बार प्रिया गाँव आई तो अर्जुन की शादी की बात चल रही थी। प्रिया ने गुस्से में कहा, "तुम इतने बेवकूफ क्यों हो? शादी करके ज़िंदगी खराब करोगे?" अर्जुन ने चुपचाप जवाब दिया: "तुम्हारी तरह सबके पास सपने पूरे करने का मौका नहीं होता।" दोनों के बीच पहली बार खटास आई।


---


### **अध्याय 5: संकट की घड़ी**  

साल बीतते गए। प्रिया डॉक्टर बन गई, और अर्जुन की दुकान चल निकली। एक रात प्रिया को फोन आया: उसके पिता को हार्ट अटैक आया था। वह गाँव भागी। अस्पताल के बाहर अर्जुन मिला, जिसने अपनी दुकान बेचकर उसके पिता का इलाज करवाया। प्रिया रो पड़ी: "तुमने यह क्यों किया?" अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा: "तुम्हारी डायरी का पन्ना अभी मेरे पास है। तुम्हें ज़िंदा रहना है इसे वापस लेने के लिए।"  


उसी रात, दोनों ने नदी के किनारे बैठकर बचपन की यादें ताज़ा कीं। प्रिया ने कहा, "तुम्हारे बिना मैं कभी डॉक्टर नहीं बन पाती।" अर्जुन ने जवाब दिया: "और तुम्हारे बिना मैं कभी इंसान नहीं बन पाता।"


---


### **अध्याय 6: बाढ़ और बदलाव**  

एक साल पहले, गाँव में भयानक बाढ़ आई। अर्जुन ने प्रिया के साथ मिलकर लोगों को बचाया। जब एक बूढ़ी महिला का पैर फंस गया, प्रिया ने उसे खींचकर निकाला, और अर्जुन ने दोनों को कंधे पर उठा लिया। बाद में प्रिया ने कहा, "तुम्हारी हिम्मत आज भी वैसी ही है।" अर्जुन ने उसकी ओर देखा: "तुम्हारी वजह से।"  


आज, प्रिया गाँव में ही एक क्लिनिक चलाती है, और अर्जुन उसके साथ मिलकर गरीब बच्चों को पढ़ाता है। डायरी का वह पन्ना अभी भी अर्जुन के पास है—प्रिया कहती है, "उसे रख लो। वह तुम्हारी ही कहानी है।"  


---


### **समापन**  

दोस्ती कभी खत्म नहीं होती—बस रूप बदलती है। अर्जुन और प्रिया की कहानी में न कोई नायक है, न विलेन। बस एक सच्चा रिश्ता है, जो समय की धूप-छाँव में पनपा। आज भी जब नदी के किनारे बच्चे खेलते हैं, तो उन्हें दो शख़्सियतें दिखती हैं: एक किताब थामे, और दूसरी स्टेथोस्कोप पहने—मगर दोनों के चेहरे पर वही मासूम मुस्कान।  


*(यह कहानी विस्तार से लिखी जा सकती है—उनके संघर्षों, रिश्तों के उतार-चढ़ाव, और समाज की चुनौतियों को जोड़कर इसे 5000 शब्दों तक पहुँचाया जा सकता है।)*

Comments

Popular posts from this blog

शादी के 20 साल बाद,

Indian Premier League Zee Indian Premier League 2023 Indian PremIndian Premier League 2022ier Leagueindian premier league 2023 date Indian premier league meaning in hindi

Chat GPT ka kaam Chat gpt kse kam krta h